Puliyabaazi

  • Autor: Vários
  • Narrador: Vários
  • Editor: Podcast
  • Duración: 243:54:31
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Informações:

Sinopsis

Podcast by Pranay Kotasthane and Saurabh Chandra

Episodios

  • राकेट राकेट. Rocket Science.

    19/09/2019 Duración: 01h08min

    The events surrounding Chandrayaan-2’s landing attempt captured India’s imagination earlier this month. This also gave us a reason to talk about Space on Puliyabaazi again. In our previous episode on space, we discussed the story of ISRO. In this episode, we explore the world of rocketry — the enabling technology for space exploration. Joining us in this conversation is Divyanshu Poddar, co-founder of Rocketeers — India’s first solid fuel-powered model rocket kit manufacturer. Some themes that came up during our conversation: What is the economics of rockets? What is qualitatively different about a rocket that takes us to Low-earth orbit, Geostationary orbit, Moon, and Mars What is the economic potential of space? What has changed now that startups can do rockets instead of nation-states? अंतरिक्ष में अनुसंधान का नाम लेते ही ISRO का ही नाम ध्यान में आता है लेकिन भारत में अब कई कंपनिया उपग्रह, रॉकेट, इमेजिंग इत्यादि पर उम्दा काम कर रही हैं | तो इस बार हमने बात की उनमें से एक कंपनी रॉकेटियर्स के दिव्यांशु पोद

  • पूर्वोत्तर भारत - अंदर कौन और बहार कौन? Insider-Outsider Politics in North East India.

    05/09/2019 Duración: 55min

    The National Registry of Citizens (NRC) has been in the national news recently. So in this episode, we take a step back to understand the causes and dynamics of insider-outsider tensions in North-East India. Joining us is author and journalist Samrat, who has co-edited a book with Preeti Gill on this topic, titled Insider-Outsider: Belonging and Unbelonging in North-East India. Puliyabaazi is on these platforms: Twitter: https://twitter.com/puliyabaazi Facebook: https://www.facebook.com/puliyabaazi Instagram: https://www.instagram.com/puliyabaazi/ Subscribe & listen to the podcast on iTunes, Google Podcasts, Castbox, AudioBoom, YouTube or any other podcast app.See omnystudio.com/listener for privacy information. This is a public episode. If you would like to discuss this with other subscribers or get access to bonus episodes, visit puliyabaazi.substack.com

  • दास्ताँ-ए-बलोचिस्तान. Understanding Balochistan.

    22/08/2019 Duración: 01h35s

    बलोचिस्तान आजकल भारत में एक बहुचर्चित विषय हो गया है | प्रधानमंत्री मोदी ने तीन साल पहले अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में इसका उल्लेख किया | इससे पहले पाकिस्तान ने भारत के एक नागरिक कुलभूषण जाधव को ईरान से कब्ज़े में ले लिया और आरोप लगाया कि भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी R&AW बलोचिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है | तो इस बार की पुलियाबाज़ी बलोचिस्तान पर तिलक देवाशर के साथ | देवाशर जी Pakistan: The Balochistan Conundrum के लेखक है और पाकिस्तान मामलों पर पिछले चार दशकों से काम कर रहे है | उनसे हमने चर्चा की इन सवालों पर: बलोचिस्तान के बारे में सबसे पहले तो यह समझना ज़रूरी है कि आज यह तीन देशों में विभाजित है - यह कैसे हुआ? रही बात सिर्फ़ पाकिस्तानी बलोचिस्तान की तो उसमें भी कई भाषायें, कई जनजातियाँ, कई धर्म है | इसकी क्या कहानी है? क्या इन जनजातियों की भिन्नता के बीच “बलोच एक क़ौम” की भावना आज कमज़ोर हुई है या पहले से और मज़बूत? आज़ादी के वक़्त कलात रियासत का अंग्रेज़ों के साथ क्या arrangement था? ११ अगस्त को कलात किस तरह आज़ाद हुआ और फिर पाकिस्तान का हिस्सा बन गया? पाकिस्तानी बलोचिस्तान की पाकिस्तानी र

  • बौद्धिक सम्पदा: पेटेंट, कॉपीराइट, और ट्रेड सीक्रेट की कहानी. Intellectual Property Rights.

    08/08/2019 Duración: 01h32min

    बौद्धिक सम्पदा: पेटेंट, कॉपीराइट, और ट्रेड सीक्रेट की कहानी कोका कोला के ट्रेड सीक्रेस्ट फॉर्मूले की कहानियाँ तो सभी ने सुनी है | पर यह कॉपीराइट, पेटेंट, और ट्रेड सीक्रेट आख़िर है क्या? बौद्धिक सम्पदा (Intellectual Property) के अधिकार के यह सभी साधन एक अर्थव्यवस्था के लिए क्या फ़ायदे-नुक़सान लाते हैं? इसी विषय पर सुनिए अगली पुलियाबाज़ी मिहिर महाजन के साथ जो पेटेंट नीति विशेषज्ञ है | कुछ सवाल जिनपर हमारी चर्चा हुई: इंसानी रचनात्मकता की चीज़ें को कैसे प्रॉपर्टी में वर्गीकृत किया जाए? बौद्धिक प्रॉपर्टी पर अधिकार और किसी ठोस प्रॉपर्टी पर अधिकार के बीच क्या अंतर है? Intellectual प्रॉपर्टी में रचयिता को एकाधिकार (monopoly) क्यों दिया जाता है? एकाधिकार की बात विवाद का कारण बन जाती है। एकाधिकार का होना तो एक मार्केट failure होता है। यह तनाव क्यों? आज के दौर में IP की आम परिभाषा ही कुछ डगमगा रही है। ऐसा क्यों? भारत के IP नियम पहले कमज़ोर थे। उसकी वजह से हमको क्या नुक़सान हुए है? इस टूटे ढाँचे को ठीक कैसे किया जाए? One of the issues in the ongoing US-China trade conflict is rampant intellectual property theft by China. T

  • सरकारी काम इतना रुलाते है, सब बेच डालें क्या? Reforming Government Organisations.

    25/07/2019 Duración: 53min

    The debate on governmental reform often takes one of these three turns: privatization, nationalization, or devolution. But none of the three narratives provides a comprehensive framework for reforming government organisations. For example, privatization might not always be possible nor advisable. Similarly, devolution of policy and regulatory roles can have adverse effects on efficiency. Nationalization, on the other hand, distorts markets and often leads to terrible outcomes. How then should we think about changing government organisations? Osborne and Plastrik’s classic Banishing Bureaucracy: The Five Strategies for Reinventing Government lays out some general strategies for changing the DNA of government organisations. Pranay and Saurabh discuss ideas from the book relevant to the Indian context. क्यों हमारी ट्राफिक पुलिस इतनी प्रभावहीन है? क्यों एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनी हर दिन पाँच करोड़ का घाटा करती है? HAL जैसे सरकारी संस्थान में क्या सुधार किया जा सकता है? क्यों आज भी सरकारें साबुन बेचने वाली कंपनी

  • सेमीकंडक्टर दंगल : अमेरिका, चीन और सिकिया पहलवान भारत. Siliconpolitik.

    11/07/2019 Duración: 01h14min

    The semiconductor microchip is perhaps the greatest modern-day innovation breakthrough. It made radios, TVs, computers, and phones happen. Today, a processor microchip has billions of components and is created using a complex supply chain involving thousands of specialised companies cutting across the globe. This trade network with nodes spread all across the world worked seamlessly at most times. Until now that is. Within the last two years, the technological domain has become one of the key battlegrounds of the ongoing geopolitical tussle between the US and China. The US has chosen to use the choke points in the semiconductor manufacturing process to constrain China’s technological growth. Given that this conflict is strategic and not economic, semiconpolitics is here to stay. So in this episode, we deep-dive into the geopolitics of semiconductors. Our guest is Anup Rajput, an engineer par excellence who has worked in the semiconductor industry and currently heads engineering functions at an AI start-up, In

  • टिकट ख़रीदा रिज़र्व बैंक ने पर क्या लॉटरी लगेगी सरकार की? The Role of the RBI.

    27/06/2019 Duración: 01h10min

    The tussle between the Reserve Bank of India and the Union government has only intensified over the last two years. Governor Urjit Patel resigned in December 2018 and Deputy Governor Viral Acharya resigned earlier this week. Though both of them cited personal reasons there are speculations that the stand-off related to excess funds on RBI’s balance sheet had some role to play. Now there’s nothing new about tensions between a government and a central bank but what’s new is the bone of contention itself because it involves surplus funds rather than disputes over interest rates. There are no set templates from other countries to be followed here. Many central banks are yet to narrow down on the best possible use of such surplus funds and hence the RBI has constituted a committee under former Governor Bimal Jalan to recommend the way ahead. So we took a step back and tried to: explore the history of India’s Reserve Bank, uncover the relationship between the Reserve Bank and the government, and ideate on possible

  • क्या राष्ट्रवाद भी लिबरल हो सकता है? Liberal Nationalism.

    13/06/2019 Duración: 53min

    भारतीय राष्ट्रवाद की ख़ासियत यह है कि वह शुरुआत से ही उदारवादी रहा है | लेकिन आज के ध्रुवीकृत वातावरण में इन दोनों शब्दों को विरोधाभासी समझा जाने लगा है | कुछ राष्ट्र के स्वनियुक्त रक्षक लिबरल विचारधारा को ज़हरीला मानते है तो खुद को लिबरल मानने वाले राष्ट्रवाद नाम से ही कतरा जाते है | तो हमने पुलियाबाज़ी की तक्षशिला इंस्टीटूशन के डायरेक्टर नितिन पई के साथ | नितिन लिबरल-राष्ट्रवाद पर कई लेख लिख चुके हैं | उनका मानना है कि सहिष्णुता और उदारवाद भारतीय राष्ट्रवाद के वह अभिन्न हिस्से है जिनकी वजह से भारत आज एक सशक्त देश बन पाया है | इस पुलियाबाज़ी में हमने चर्चा की इन सवालों पर: क़ौम क्या है? राष्ट्र, क़ौम, वतन, और देश - क्या यह सभी शब्द समानार्थक है? अगर राष्ट्र महज़ एक वैचारिक संकल्पना है, तो क्या उसका महत्व कम हो जाता है? राष्ट्रवाद क्या है? यह शब्द कलंकित क्यों हो गया? भारतीय राष्ट्रवाद और हिन्दू राष्ट्रवाद में अंतर क्या है? भारतीय राष्ट्रवाद में क्या उदारवादी तत्व है? The jingoistic, zero-sum version nationalism is back as a powerful, destructive force on the global stage. Yet a few thinkers believe that a tolerant,

  • रन-नीति : क्रिकेट में डेटा क्रांति. Cricket and Data Science.

    30/05/2019 Duración: 01h12min

    क्रिकेट एक ऐसा विषय है जिसमे हम सभी ज्ञानी है | लेकिन क्या आपको पता था कि डेटा साइंस के प्रयोग से क्रिकेट के स्तर में निरंतर सुधार आ रहा है ? डेटा एनालिसिस टीमों का एक अभिन्न अंग बन चुका है यहाँ तक कि इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने तो अब एक चीफ डेटा अफसर भी नियुक्त किया है | तो इस एपिसोड में हमने क्रिकेट के इस नए पहलू पर पुलियाबाज़ी की कार्तिक शशिधर से | कार्तिक एक मैनेजमेंट कंसलटेंट है, एक ब्लॉगर है, और क्रिकेट डेटा के एक शानदार न्यूज़लेटर Criconometrics के रचयिता भी है | इस एपिसोड में हमने क्रिकेट से जुड़े कई विषयों पर गहरी चर्चा की | जैसे कि: सट्टे पर बैन लगने से कैसे मैच फिक्सिंग को बढ़ावा मिला ? आईपीएल से क्रिकेट के स्तर में क्या बदलाव आए है ? किस प्रकार डेटा का प्रयोग कर आईपीएल में मुंबई इंडियंस ने चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ जयंत यादव को उतारा? ODI मे औसतन स्कोर किस तरह से बदले है ? अगले कुछ साल में क्रिकेट में क्या बदलाव अपेक्षित है? Behind the scenes, data science is changing the way cricket gets played. Many teams now have data analysts in their dugouts who contribute to game strategies. In a sense, cricket

  • यह लिबरल आख़िर है कौन? Foundational Ideas of Liberalism.

    16/05/2019 Duración: 01h10min

    लिबरलिस्म अर्थात स्वातंत्रवाद आज एक विस्फोटक शब्द हो गया है | लेकिन ये लिबरल होने का आख़िर मतलब क्या होता है? इस प्रश्न का उत्तर खोजते हुए हम फ्रेडरिक हायेक (1899-1992) के लेख पढ़ने लगे | हायेक लिबरल विचारधारा की एक महत्वपूर्ण हस्ती है | The Use of Knowledge in Society, The Road to Serfdom और Law, Legislation, and Liberty हायेक के कुछ धमाकेदार लेख है जो आज भी बेहद प्रासंगिक है | उनकी पहली किताब के प्रकाशन को हाल ही ७५ साल हुए तो हमने सोचा उनके विचारों से हमारे श्रोताओं को अवगत कराया जाए | लिबरल विचारधारा और हायेक की इन रचनाओं पर चर्चा करने के लिए हमारे साथ है अमित वर्मा | अमित एक लेखक और पॉडकास्टर है | अमित कई अखबारों में लिबरलिस्म, क्रिकेट, और राजनीति जैसे विषयों पर लिखते हैं | उनका अंग्रेजी पॉडकास्ट The Seen and The Unseen भारत के श्रेष्ठ पॉडकास्ट में से एक है | Every “-ism” is built on a set of canonical ideas and influential personalities. And one such leading thinker behind the liberalism philosophy is Friedrich August Hayek (1899-1992). His landmark book The Road to Serfdom completed 75 years recently. Th

  • ज़िन्दगी की चाबी. Gene Editing.

    02/05/2019 Duración: 01h29min

    कुछ ही महीनों पहले चीन के एक वैज्ञानिक ने जीनोम-एडिटिंग का उपयोग कर जुड़वां बच्चियाँ बनाकर पूरे जगत को हिला दिया | जीन एडिटिंग ने ‘कुदरत बनाम परवरिश’ विवाद को एक नया आयाम दे दिया है | तो इस बार पुलियाबाज़ी पर लेकर आए हैं हम एक वैज्ञानिक को जीन्स, जीन एडिटिंग बारे में विस्तार से चर्चा करने के लिए | हमारी गेस्ट है शांभवी नाईक, जो एक कैंसर बायोलॉजिस्ट हैं और तक्षशिला इंस्टीटूशन में रिसर्च फेलो हैं | हमने उनसे जीवशास्त्र से जुड़े कई सवालों पर चर्चा की: जीन्स क्या होते हैं? उनका एक कोशिका में उपयोग क्या है? क्या जीन्स सच में ‘स्वार्थी’ होते हैं? युजेनिक्स ने जीन शोध का किस प्रकार दुरुपयोग किया? जीन एडिटिंग क्या है? इसके फायदे क्या हैं? जीन एडिटिंग पर सरकारी नीतियाँ कैसे तय की जानी चाहिए? Rapid advances in gene editing techniques have given a fresh impetus to the ‘nature vs nurture’ debate. So in the next edition of Puliyabaazi, we brought in a science policy researcher for an in-depth chat on genes, genetics, and the genetic revolution. Our guest is Shambhavi Naik, a Fellow at the Takshashila Institution. We discuss

  • ख़ुफ़िया बातें. Espionage, India Style.

    18/04/2019 Duración: 41min

    जासूसी एक ऐसा पेशा है जिसके बारे में न सिर्फ हम कम जानते है बल्कि अक़्सर सरासर ग़लत भी जानते है | फिल्मों में इस पेशे को इस तरह दर्शाया जाता है कि इंटेलिजेंस अफ़सर कई दिव्य शक्तियों के मालिक लगने लगते है | तो इस बार की पुलियाबाज़ी एक असली इंटेलिजेंस अफ़सर के साथ इस पेशे के बारे में | हमने बात की भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के भूतपूर्व प्रमुख विक्रम सूद के साथ | यह चर्चा सूद जी की बेहतरीन किताब ‘The Unending Game: A Former R&AW Chief’s Insights into Espionage’ पर आधारित है | चर्चा में उठे कुछ सवाल: इंटेलिजेंस एजेंसी चार प्रकार के काम करती है - collection, analysis, dissemination, और operation| इन चारों को करने के लिए क्या ख़ूबियाँ चाहिए एक अफ़सर में? एक ख़ुफ़िया(covert) ऑपरेशन का मतलब क्या होता है? स्पेशल ऑपरेशन क्या होता है? भारत में ही नहीं पर पूरे विश्व में TECHINT की एक लहर आयी थी लेकिन अब CIA भी मानती है कि HUMINT को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता भले ही टेक्नोलॉजी कितनी ही अच्छी क्यों न हो जाए| ऐसा क्यों?   4."इंटेलिजेंस failure" होता क्या है? आज ख़ुफ़िया एजेंसियों का ध्यान

  • हमारी राजनीती आख़िर ऐसी क्यों है? What Matters for Indian Voters?

    04/04/2019 Duración: 01h19min

    2019 मतदान क़रीब है और राजनीति की हवा किस दिशा में बह रही है, इस पर हर भारतीय का अपना एक मत तो ज़रूर है| अक़्सर लोग कहते हैं कि भारत में राजनीति विचारधाराओं से परे है ; वह केवल नेताओं के व्यक्तित्व, भ्रष्टाचार, या फ़िर जातिगत समीकरण पर केंद्रित है | पर इन आम धारणाओं में कितना सच है, इसी विषय पर इस हफ़्ते की पुलियाबाज़ी राहुल वर्मा (फेलो, राहुल सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च) के साथ| राहुल और प्रदीप छिब्बर की नई किताब Ideology & Identity: The Changing Party Systems of India भारतीय राजनीति की संरचना पर एक गहन अध्ययन है | राहुल से हमने इन सवालों पर पुलियाबाज़ी की: भारतीय राजनीति की विचारधारा के स्तंभ क्या है? स्वतंत्र होने से पहले क्या सोच थी सरकार के समाज में रोल के बारे में ? स्वतंत्र भारत में क्या कहानी रही है? क्या वोट खरीदने से ही सरकारें बन जाती हैं? क्या जाति सबसे बड़ा फैक्टर है हमारी राजनीति में? नेताओं के व्यक्तित्व का क्या असर होता है वोटर पर? एक और मान्यता है कि काडर (संगठन) वाली पार्टिया सफल होती है | कितना सच है इसमें? २०१४ में जो नतीजा आया वह क्यों आया? The 2019 elections are around the corner. Instead of add

  • बुंदेलखंड से उठती खबरों की एक लहर. A Bundelkhandi Women-run Media Network.

    21/03/2019 Duración: 54min

    इस बार की पुलियाबाज़ी भारत के एकमात्र ग्रामीण, नारीवादी न्यूज़ चैनल - ख़बर लहरिया - के साथ | २००२ में स्थापित हुआ यह नेटवर्क अपनी बेबाक रिपोर्टिंग के लिए मशहूर है | तो हमने पुलियाबाज़ी की दिशा मलिक (मैनेजिंग डायरेक्टर) और कविता देवी (डिजिटल हेड) के साथ | पहले हमने बात की खबर लहरिया की सफलताएँ और चुनौतियाँ के बारे में | फ़िर हमने समझने की कोशिश की उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाक़े - बुंदेलखंड - को, ख़बर लहरिया के दृष्टिकोण से | This episode of Puliyabaazi is on India’s only women-run rural media network - Khabar Lahariya. Employing women from Dalit, tribal, Muslim and backward castes, the network has won several national and global awards for their pioneering rural journalism. We spoke to Disha Mullick, Managing Director and Kavita Devi, Digital Head from the Khabar Lahariya team about: How did Khabar Lahariya start? What have been some stages in KL’s development since it came into being in 2002? What challenges do KL’s women reporters face while investigating issues in a patriarchal society? How is rural Bundelkhand like

  • IL&FS से DHFL तक - क्यों लड़खड़ा रहे हैं NBFC? IL&FS to DHFL - Why NBFC is fluctuating

    07/03/2019 Duración: 52min

    भारत में तक़रीबन 90 बैंक है पर 10000 ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियाँ (NBFC) हैं जबकि दोनों संस्थाओं का एक ही रोल है - किफ़ायती क़र्ज़ उपलब्ध करा पाना | कोबरापोस्ट वेबसाइट ने इनमें से एक - DHFL - पर जनवरी में आरोप लगाया था कि इस कम्पनी ने 31 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया है! इसे ‘भारत के इतिहास का सबसे बड़ा बैंकिंग स्कैम’ करार दिया गया था।भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में NBFC पर नियंत्रण कैसे हो यह एक ज्वलंत विषय है | तो इस एपिसोड में हमने कोशिश की समझने की यह NBFC बला क्या है? इस विषय पर पुलियाबाज़ी के लिए हमारे साथ है दो विशेषज्ञ - हर्ष वर्धन और नारायण रामचंद्रन | हर्ष एसपी जैन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SPJIMR) में फेलो है | नारायण एक इन्वेस्टर, लेखक, और तक्षशिला इंस्टीटूशन में सीनियर फेलो हैं | इससे पहले नारायण मॉर्गन स्टैनली इंडिया के प्रमुख और RBL बैंक के ग़ैर-कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके है | इस विषय पर पढ़िए हर्ष के विचार ब्लूमबर्गक्विंट पर और नारायण का लेख मिंट अखबार में| इस पुलियाबाज़ी में हमने उनके सामने यह सवाल रखे: ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी मतलब NBFC क्या होती है? NBFC और मिक्रोफिनांस संस्थाओं में

  • स्वतंत्र भारत में मतदान की कहानियाँ. How India Conducts Elections.

    21/02/2019 Duración: 01h05min

    2019 के लोकसभा चुनाव नज़दीक आ रहे है | अगले कुछ महीनों में हर नुक्कड़-गली में “कौन बनेगा प्रधानमंत्री” इसी विषय पर वाद-विवाद होगा | तो पुलियाबाज़ी में हमने इस प्रश्न से हटकर मतदान प्रक्रिया को समझने का प्रयास किया | इस पुलियाबाज़ी में हमारे गेस्ट है श्री अलोक शुक्ला जो २००९ और २०१४ के बीच भारत के डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर रह चुके हैं | उनकी नयी किताब Electronic Voting Machines: The True Story इवीएम पर लग रही आलोचनाओं का मुँहतोड़ जवाब देती है | इस पुलियाबाज़ी में हमने उनके सामने यह सवाल रखे: संसद चुनाव के लिए प्रक्रिया कब और कैसे शुरू होती है ? चुनाव आयोग एक स्वतन्त्र संवैधानिक संस्था है - इस संरचना का ECI अफसरों पर आपके मुताबिक क्या फ़र्क पड़ता है? क्या सब पार्टियाँ चुनाव आयोग के पास चुगली करने आती रहती है? EVM के आने से पहले क्या तकलीफें होती थी चुनाव करवाने में ? EVM का आईडिया कब पहले आया? क्या क्या विरोध रहे है EVM के ख़िलाफ़? EVM और राजनैतिक दलों का रिश्ता कैसा रहा है? EVM की छवि सुधारने के लिए ECI को क्या करना चाहिए? In the 1971 General Elections, it was alleged that ballot papers were tampered using vanishing and

  • लश्कर-ए- तय्यबा: कब, क्यूँ और कैसे. Lashkar-e-Tayyaba: Origins and Motives.

    07/02/2019 Duración: 01h04min

    26 नवंबर 2008, मुंबई की दर्दनाक तस्वीरें आज भी दिल दहला देती हैं | इस हमले को अंजाम दिया था पाकिस्तान सेना के पसंदीदा आतंकवादी गुट - लश्कर-ए-तैयबा ने | इस हादसे के 11 साल बाद भी, हम कम ही जानते है कि यह संगठन शुरू कैसे हुआ, किस मक़सद से हुआ, और इसके हथकंडे क्या है | तो हमने की पुलियाबाज़ी प्रॉफ़ेसर क्रिस्टीन फेयर से, जिन्होंने हाल ही में इस संगठन पर एक किताब ‘In Their Own Words: Understanding the Lashkar-e-Tayyaba’ लिखी है | फेयर जार्जटाउन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रॉफेसर है और पाकिस्तान सेना पर किये गए अपने उल्लेखनीय शोधकार्य के लिए जानी जाती है | उनसे हमने इस आतंकवादी गुट एक संगठन के रूप में समझने के लिए यह सवाल सामने रखे: In this episode, we explore one of the most important nodes of the Pakistani military-jihadi complex: the Lashkar-e-Tayyaba (LeT). Our guest for this episode is Prof Christine Fair, a renowned voice on Pakistan security issues. In her latest book In Their Own Words: Understanding the Lashkar-e-Tayyaba, Dr Fair reveals finer details about LeT using publications produced and disseminated by Da

  • अम्बेडकर के जातिप्रथा पर विचार : भाग २. Ambedkar on Caste Part 2

    31/01/2019 Duración: 36min

    पूरे भारत ने अपना सत्तरवाँ गणतंत्र दिवस पिछले हफ़्ते मनाया और अंबेडकर के योगदान को फिर एक बार याद किया | पर अंबेडकर साहब जैसे बुद्धिजीवी को सम्मान देने का शायद सबसे प्रभावशाली तरीका है उनके विचारों को समझना | अब उनको पुलियाबाज़ी में ला पाना तो संभव नहीं है इसलिए इस बार हमने प्रयत्न किया उनके कुछ लेख पढ़ने का और उनके तर्क को आपके सामने रखने का | इस दो भाग स्पेशल में हमने विश्लेषण किया अंबेडकर के जातिप्रथा पर कुछ विचारों का | भाग 2 में में सुनिए चर्चा उनके सबसे प्रसिद्ध लेख - Annihilation of Caste - पर | अंबेडकर ने यह भाषण 1936 में लाहौर के जात-पात तोड़क मंडल के लिए तैयार किया था पर यह लेख इतना धमाकेदार था कि मंडल ने इसे प्रकाशित करने से मना कर दिया | अंत में अंबेडकर ने खुद इसे प्रकाशित किया | जातिप्रथा का उन्मूलन क्यूँ और कैसे किया जाए - यह लेख इन सवालों पर केंद्रित है | यह लेख इतना प्रसिद्ध हुआ कि गांधीजी ने भी इस पर अपने विचार रखे और अपनी असहमति के कारण समझाए | इस एपिसोड में हमने इस बेहद ज़रूरी वाद-विवाद पर चर्चा की है | सुनिए और बताइए कैसा लगा आपको| साथ ही इस सीरीज़ के भाग १ में हमारी चर्चा सुनिए उनकी किताब The U

  • अम्बेडकर के जातिप्रथा पर विचार: भाग १. Ambedkar on Caste Part 1

    24/01/2019 Duración: 43min

    गणतंत्र दिवस के अवसर पर हम भीमराव अम्बेडकर के योगदान को अक़्सर सलामी देते हैं | पर अम्बेडकर साहब जैसे बुद्धिजीवी को सम्मान देने का शायद सबसे प्रभावशाली तरीका है उनके विचारों को समझना| अब उनको पुलियाबाज़ी में ला पाना तो संभव नहीं है इसलिए इस बार हमने प्रयत्न किया उनके कुछ लेख पढ़ने का और उनके तर्क को आपके सामने रखने का | इस दो भाग स्पेशल में हमने विश्लेषण किया अम्बेडकर के जातिप्रथा पर कुछ विचारों का | भाग १ में सुनिए चर्चा उनकी किताब The Untouchables  पर | भाग २ में सुनिए चर्चा Annihilation of Caste पर | अम्बेडकर के काफ़ी लेख विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध है | पढ़िए और अपने विचार ज़रूर शेयर कीजिये हमारे साथ |See omnystudio.com/listener for privacy information. This is a public episode. If you would like to discuss this with other subscribers or get access to bonus episodes, visit puliyabaazi.substack.com

  • एक नयी विश्व व्यवस्था के लिए भारत कैसे तैयारी करे? The New World Order and India.

    10/01/2019 Duración: 56min

    विश्व व्यवस्था के घटनाक्रम में हाल ही तीव्रता से बदलाव हुए हैं। अमरीका और चीन के बीच में 1971 से शुरू हुआ तालमेल का सिलसिला आज एक शीत युद्ध में तब्दील हो गया है। बदलते समीकरणों के चलते अगले २५ सालों में भारत को क्या कदम उठाने चाहिए, इस विषय पर है हमारी इस हफ़्ते की पुलियाबाज़ी | इस पुलियाबाज़ी में सौरभ और प्रणय ने इन सवालों पर चर्चा की: १. “विश्व-व्यवस्था” शब्द का अर्थ क्या है? २. ऐतिहासिक तौर पर किस प्रकार की विश्व-व्यवस्थाएं रह चुकी है? ३. अमरीका और चीन के मनमुटाव के चलते भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा? ४. विश्व-व्यवस्था में आख़िर बदलाव अब क्यों आ रहा है? ५. क्या चीन अमरीका को विश्व के सबसे ताक़तवर देश के रूप में विस्थापित कर सकता है? सुनिए और कहिए कैसा लगा आपको @puliyabaazi या फिर puliyabaazi@gmail.com पर। It’s nearly impossible to read a book on geopolitics today without the mention of the phrase A New World Order. Many claims of this New World Order narrative need deeper investigation, starting from these questions: what constitutes a world order? How was the US able to reach this position of a world leader afte

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